Friday 4 October 2013

चाणक्य जी ने बताया कि किसके सामान क्या है .

1-  क्रोध साक्षात् यमराज है ,तृष्णा वैतरणी नदी है , विधा कामनाओं को पूर्ण करने वाली अर्थात विधा कामधेनु है और सन्तोष नन्दन वन इन्द्र की वाटिका के समान है |

चाणक्य जी ने बताया कि किससे बढ़कर क्या नहीं .

1-  शांति के समान दूसरा कोई तप नहीं है ,सन्तोष से श्रेष्ठ सुख नहीं है ,तृष्णा से बढ़कर रोग नहीं है और दया से बढ़कर धर्म नहीं है

Tuesday 1 October 2013

चाणक्य जी ने बताया कि परमेश्वर कहां प्रकट होता है.

1-  देव ,परमेश्वर लक्कड़ में नहीं है ,पत्थर में भी नहीं है ,मिट्टी की मूर्ति में भी नहीं है ,निश्यच ही परमेश्वर भाव में विधमान है | इसलिए जहां भावना करें वहां ही परमेश्वर सिद्द होता है ,प्रकट होता है |

चाणक्य जी ने बताया कि सिद्दि कैसे प्राप्त की जा सकती है.

1-  लक्कड ,पत्थर और लोहे आदि धातुओं की भावना और श्रद्दा से सेवा करके उस (भावना ) के द्धारा मनुष्य सिद्द हो जाता है , अथवा सिद्दि प्राप्त कर लेता है और भक्त पर परमेश्वर प्रसन्न होता है