Sunday 29 September 2013

चाणक्य जी ने बताया कि किसके बिना क्या व्यर्थ है .

1-  गुणहीन मनुष्य का रूप ,सुन्दरता मारी जाती है ,व्यर्थ समझी जाती है ,शीलहीन का कुल निन्दित होता है ,अलौकिक शक्ति से रहित ,बुद्दिहीन मनुष्य की विधा व्यर्थ है और भोग के बिना धन व्यर्थ है |

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